श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर (बड़ा) ट्रस्ट नाशिक के तपोवन का एक महत्वपूर्ण मंदिर है. यह मंदिर नाशिक के पंचवटी के तपोवन में स्थित है.सच पूछिये तो इस मंदिर का नाशिक के कुम्भ मेले में महानगरपालिका को बड़ा योगदान मिलता है. साथ साथ संत, महंतो और महामंडलेश्वर सर्व प्रथम यही रुकते है , सबकी रहने खाने की व्यवस्था भी ट्रस्ट की तरफ से निशुल्क रहती है. कुंभ में भक्तो को निशुल्क भोजन मिलता है . यहाँ पे संत, महंत कुम्भ के २ महीने पहले आते है और कुम्भ के बाद भी संतो महंतो की सेवा निशुल्क चलती रहती है.
इस मंदिर को चलाने वाला ट्रस्ट ‘ तपोवन और लक्ष्मीनारायण मंदिर ट्रस्ट ” जो मुंबई पब्लिक ट्रस्ट १९५० के आधीन तारीख ०९.०२.१९५५ को पंजीकृत किया गया. मंदिर में करीब १.५ एकर में गोशाला है जो मंदिर के पूरब और दक्षिण दोनों तरफ फैला हुवा है. इसमे करीब ८० से ९० गाये रहती है. भविष्य में ट्रस्ट की तरफ से औषधालय, गायोंके लिए और एक गोशाला, गरीब बच्चो के लिए स्कूल शुरू करने का विचार है.
संत निवास
मंदिर प्रांगण में ही बड़े महंतजी के साथ लगभग १००० से १५०० भक्तांजनो के रहने की व्यवस्था की गयी है. साथ ही VIP महाराज और महंतो के लिए १० AC कमरे भी सुसज्ज रखे गए है.संत निवास गोशाला के ऊपरी मंजिल पर मंदिर के सामने उत्तर की तरफ और पूर्व की और पत्रे की शेड में गोशाला की गयी है, तथा मंदिर के पछिम भाग में VIP रूम ,संत निवास बनाया गया है. मंदिर के बाहर पूर्व बाजु में रोड है और बाकि तीनो और संत निवास तथा खुला बड़ा हाल,एक बड़ा भंडार कक्ष तथा बड़ा रसोई घर है, जहा रोज ८०-१०० लोगोंको भोजन व्यवस्था महाप्रसाद के रूप में होती है. २०१५ में १५००० से ज्यादा संत, महंत, भक्त सुभह-शाम भोजन, चाय, नाश्ता करते थे .
आईये आपको भूमि अधिग्रहण की व्यवस्था की विषय में बताये. सर्वे न. ३२६ में गोशाला और मंदिर का आधे से कम भाग में है गोशाला के ऊपर संत निवास, भक्त निवास की रूम है और २ VIP रूम है . जो मंदिर परिसर की पूर्वी भाग में उत्तराभिमुख है.इसमे भी सर्वे नं ३२६ का उपयोग मंदिर निर्माण में नहीं हो पाया है.इसकी आंशिक भूमि महानगरपालिका ने अधिगृहीत की है उसमे कुछ भाग में ३ एकर से ऊपर गार्डन है.जो संत निवास सर्वे नं २९० में स्थित है उसे १९९१ में कुम्भ की अवसर पर आने वाले भक्तगण के लिए साकेतवासी संत श्री महंत नारायणदासजी ने बनवाया था .साथ ही साथ दक्षिण गोशाला तथा उसके ऊपर का संत निवास भी १९९५ में महंत नारायणदासजी ने बनवाया था. सन २००३ के कुम्भ में महानगर पालिका ने संत निवास एवं भोजनालय का निर्माण करवाया है. उस समय रोज हजारो संतो की भोजन व्यवस्था यहाँ से होती थी. सन २००५ के बाद मंदिर परिसर के पच्छिम रसोई कक्ष के उस पार पीछे करीब पौन एकर की भूमि में बड़ा लान सर्वे नं २९० में बनाया गया है जहा पर रामलीला , रासलीला तथा अन्य मांगलिक कार्यक्रम सम्पादित होते है. कभी कभी लान के किनारे बने आहाते में आनकूट का तथा कथा भागवत का भी भी आयोजन किया जाता है.ट्रस्ट की पूरी जमीन में ठोस प्रकप्ल अभी तक नहीं हो पाया है .सेवे नं 331,३३२ और ३२६ का कुछ भाग तो एसे ३० एकर नगरपालिका के आधीन कायम स्वरूपी कुम्भ के नाम पे लेलिया है जहा पे गाय का चारा किया जाता है था. सर्वे नं ३३१ तपोवन में ही बटुक हनुमान मंदिर स्थापित है जो वर्तमान में महानगरपालिका के पास है, वहा के पुजारी श्री श्यामसुन्दर दास महाराज है. सर्वे न. १४४/१, १४४/२ चरण पादुका रोड पंचवटी में है जहा चरण पादुका मंदिर बनवाया है, यहाँ माता सीताजी की अति प्राचीन चरणपादुका हे और वही पे ठीक सामने श्रीराम पर्ण कुटी जो श्री राम मंदिर के नाम से है .उसके ठीक पीछे श्री लक्ष्मण जी के द्वारा सीता हरण से पूर्व खींची हुयी लक्ष्मण रेखा है जो आज के समय में वाघाडी नदी के नाम से जानी जाती है . जो ईस ट्रस्ट की संपत्ति है है, इसके वर्तमान पुजारी श्री शीतलदासजी महाराज है, जो ७० साल से पूजा कर रहे है. सर्वे नं १९८ में लोग अनधिकृत कब्ज़ा करके खेती कर रहे है.वो उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं है . सर्वे न १४४/२, ३५/१, ३५/३, ३५/४, ३६२ की जमीन अनधिकृत कब्ज़ा है .सर्वे नं ३३१ तपोवन में ही बटुक हनुमान मंदिर स्थापित है. 15 एकर तपोवन में ट्रस्ट के पास है तथा १४ एकर सरकारी दस्तावेज के मुताबिक हनुमानवाड़ी में पड़ी हुई है. जो अनधिकृत कब्जे के तहत विवादित पड़ी है.
३० एकर जगह महानगरपालिका ने अधिघृहीत कर हमेशा के लिए कुम्भ हेतु आरक्षित घोषित कर दिया है. इसमे ८ एकर जगह में रामसृष्टि नमक उद्यान है. उसी में बटुक महाराज मंदिर भी है. इस तरह महानगरपालिका द्वारा बनाया गया साधुग्राम का बड़ा हिस्सा इसी ट्रस्ट की देन है .
आरती: सुबह की आरती ७ बजे और शाम की आरती ८ बजे रत को होती है.
आज के वर्तमान महंत महामंडलेश्वर श्री रामसनेहीदास महाराज है.
